Kahe ko Byahi Bides is a poetry/song sung by a girl when she is getting married and has to leave her father's house. It is written by Amir Khusrao.
इस कव्वाली को आमिर खुसरो ने लिखा है. यह एक लड़की तब जाती है जब उसकी शादी हो रही होती है और उसे अपने पिता के घर से बिदा किया जाता है
There are Lyrics for two versions of this song
Version 1: By Taj Muhammad & Shad Muhammad Niazi Qawwal
Version 2: By Malini Awasthi
Version 1: Kaahe Ko Biyahi Bides - Taj Muhammad & Shad Muhammad Niazi Qawwal
See the video and read the lyrics below in English and Devnagri (Hindi) script
काहे को ब्याही बिदेस, रे सुन बाबुल मोरे
Hum tore babul, aangan ki chidiya
Bhor bahe ud jae
Bhor bahe ud jae
Kahe ko byahi bides, re sun babul more
हम तोरे बाबुल, आँगन की चिड़िया
भोर भई उड़ जाएं
काहे को ब्याही बिदेस, रे सुन बाबुल मोरे
Hum tore babul, khoonte ki gaiyan
aakho jidhar akh jae
Kahe ko byahi bides, re sun babul more
हम तोरे बाबुल, खूंटे की गइयाँ
आखो जिधर अख जाएं
काहे को ब्याही बिदेस, रे सुन बाबुल मोरे
Taako bhari maine gudiya bhi chodi
Choda saheliyon ka saath
Kahe ko byahi bides, re sun babul more
ताको भरी मैंने गुड़िया भी छोड़ी
छोड़ा सहेलियों का साथ
काहे को ब्याही बिदेस, रे सुन बाबुल मोरे
Dete nahi re babul sar ko jo kangi
Saas nanand bole bol
Kahe ko byahi bides, re sun babul more
देते नहीं रे बाबुल सर को जो कंगी
सास ननंद बोले बोल
काहे को ब्याही बिदेस, रे सुन बाबुल मोरे
Bhaiyon ko deene babul mehel do mehelin
Humko diya pardes
Kahe ko byahi bides, re sun babul more
भाइयों को दीने बाबुल महल दो महलें
हमको दिया परदेस
काहे को ब्याही बिदेस, रे सुन बाबुल मोरे
Dole ka parda uthakar jo dekha
Babul na babul ka des
Kahe ko byahi bides, re sun babul more
डोले का पर्दा उठाकर जो देखा
बाबुल ना बाबुल का देस
काहे को ब्याही बिदेस, रे सुन बाबुल मोरे
Ambwa tale se dola jo nikla
Peeran ne khai pachad re
Kahe ko byahi bides, re sun babul more
अम्बवा तले से डोला जो निकला
पीरन ने खाई पछाड़ रे
काहे को ब्याही बिदेस, रे सुन बाबुल मोरे
Tu kya bole mori kali koyaliya
Jana hai pee ke des
Kahe ko byahi bides, re sun babul more
तू क्या बोले मोरी काली कोयलिया
जाना है पी के देस
काहे को ब्याही बिदेस, रे सुन बाबुल मोरे
Aamer Khusrao yu kahe babul
Tora dhan dhan bhag suhag
Kahe ko byahi bides, re sun babul more
आमिर ख़ुसरो यूँ कहे बाबुल
तोरा धन धन भाग सुहाग
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Version 2: Kaahe Ko Biyahi Bides - Malini Awasthi
Kahe ko biyahi bides, are lakhiya babul more
काहे को ब्याही बिदेस, अरे लखिया बाबुल मोरे
Hum to babul tori, pinjre ki muniya
Are jis angna kaho udi jae
Are lakhiya babul more, kahe ko biyahi bides
हम तो बाबुल तोरी, पिंजरे की मुनिया
अरे जिस अंगना कहो उड़ी जाए
अरे लखिया बाबुल मोरे, कहे को ब्याही बिदेस
Bhaiya ko deeno babul, mahala do mahala
Humko deno pardes
Are lakhiya babul more, kahe ko biyahi bides
भैया को दीनो बाबुल, महला दो महला
हमको दीनो परदेस
अरे लखिया बाबुल मोरे, कहे को ब्याही बिदेस
Nimiya tale, mora dola jo utha
More peeran ne khai pachad
Are lakhiya babul more, kahe ko biyahi bides
निमिया तले, मोरा डोला जो उठा
मोरे पीरन ने खाई पछाड़ रे
अरे लखिया बाबुल मोरे, कहे को ब्याही बिदेस
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