Shayari by Shariq Kaifi - Bujhe Hue Khayal ki Roshni
ये चुपके चुपके न थमने वाली हँसी तो देखो
वो साथ है तो ज़रा हमारी ख़ुशी तो देखो।
वो साथ है तो ज़रा हमारी ख़ुशी तो देखो।
बहुत हसीं रात है मगर तुम तो सो रहे हो
निकल के कमरे से एक नज़र चांदनी तो देखो।
निकल के कमरे से एक नज़र चांदनी तो देखो।
जगह जगह सील के ये धब्बे ये सर्द बिस्तर
हमारे कमरे से धुप की बेरुख़ी तो देखो।
दमक रहा हूँ अभी तलक उसके ध्यान से मैं
बुझे हुए ख़्याल की रौशनी तो देखो।
बुझे हुए ख़्याल की रौशनी तो देखो।
Ye chupke chupke na thamne wali hansee to dekho
wo saath hai to zara hamari khushi to dekho.
bahut hansee raat hai magar tum to so rahe ho
nikal ke kamre se ek narar chandi to dekho.
jagah jagah seel ke ye dhabbe ye sard bistar
hamare kamre se dhoop ki berukhi to dekho.
damak raha hoon abhi talak uske dhyan se main
bujhe hue khayal ki roshi to dekho.
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