Lyrics and Translation of Ustad Shujat Khan's Recital - Zindagi se badi saza
उस्ताद शुजात ख़ान की पेशकश - ज़िन्दगी से बड़ी सज़ा
देवनागरी / हिंदी
(Devnagri / Hindi)ज़िन्दगी से बड़ी सज़ा ही नहीं,
और क्या जुर्म है पता ही नहीं।
इतने हिस्सों में बंट गया हूँ मैं,
मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं।
चाहे सोने के फ्रेम में जड़ दो,
आइना झूठ बोलता ही नहीं।
धन के हाथों बिक गए हैं सभी,
अब किसी जुर्म की सज़ा ही नहीं।
- कृष्ण बिहारी 'नूर'
और क्या जुर्म है पता ही नहीं।
इतने हिस्सों में बंट गया हूँ मैं,
मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं।
चाहे सोने के फ्रेम में जड़ दो,
आइना झूठ बोलता ही नहीं।
धन के हाथों बिक गए हैं सभी,
अब किसी जुर्म की सज़ा ही नहीं।
- कृष्ण बिहारी 'नूर'
English:
Zindagi se badi saza hi nahin,
aur kya jurm hai pata hi nahin.
itne hisson me bant gaya hoon main,
mere hisse me kuch bacha hi nahin.
chahe sone ki frame me jad do,
aaena jooth bolta hi nahin.
dhan ke hathon bik gae hain sabhi,
ab kisi jurm ki saza hi nahin.
Translation:
(This is a literal word to word translation, hence open to interpretation for the reader)
There is no larger punishment than life,
and one doesn't know what is his crime.
i have been split into so many pieces,
that there is nothing left in my share.
even if you put a mirror in a golden frame,
it still won't lie.
everyone has been sold(corrupted) by money,
that now there is no punishment for any other crime.
Video:
Enjoy the Video and the Translation.
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